२०० ९ सूर्य अस्त की तरह धीरे -धीरे अस्त हो रहा है .सूर्योदय की तरह २०१०कि नई सुबह प्राची की लाली की तरह झिलमिलाती हुयी आने वाली है .सब के जीवन अरुणोदय की लाली छा जाए ।
नव वर्ष ' २०१० ' का जग के सारे देश अपने दिल के द्वेष -भेद -भाव को मिटा कर जग हित की सोच से स्वागत करे तो 'सर्व जन हिताय सर्व जन सुखाय ' का जग बन सकता है ,नहीं तो इसके विपरीत आतंक -युद्ध ,ग्लोबल वार्मिंग अन्य नई -नई समस्याओं से घिरा ग्रहण की तरह जग होगा ।
भलाई इसी में है कि मानव मानवता धर्म को अपनाए । जिससे खुद का भला और जग का भला कर सकेगा ।
जग को मानवीयता -शांति -प्रेम कि शुभ कामनाओं के साथ -
मंजू 'भारतीय '
वाशी ,नवी मुंबई ।
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